अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रम्प के वेनेजुएला के अप्रवासियों को देश से निकालने के फैसले पर रोक लगा दी है। कई अप्रवासी अभी टेक्सास की एक हिरासत केंद्र में बंद हैं। ट्रम्प प्रशासन 1798 के ’एलियन एनिमीज एक्ट’ के जरिए उन्हें जल्द से जल्द देश से बाहर भेजना चाहता था।
ट्रम्प प्रशासन के फैसले पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार को लोगों को देश से निकालने से पहले उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पूरा मौका देना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रम्प प्रशासन ने जो तरीका अपनाया, जैसे कि 24 घंटे में बिना सुनवाई को अप्रवासी को देश से बाहर भेज देना, यह कहीं से सही नहीं है।
एलियन एनिमीज एक्ट युद्ध के समय का बनाया हुआ कानून है जिसमें दुश्मनों को देश से निकालने के लिए कोई भी कानूनी कार्रवाई नहीं करनी होती है। हालांकि अमेरिकी संविधान के कुछ प्रावधान के जरिए इसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
निचली अदालत ने सुनवाई से इनकार किया था, अब वही फैसला देगी
इस फैसले का मतलब है कि प्रवासियों को यह जानने और अदालत में चुनौती देने का अधिकार है कि उन्हें क्यों निकाला जा रहा है। हालांकि यह फैसला अभी अस्थायी है और इस पर पूरी कानूनी लड़ाई अभी बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामला एक निचली अदालत (फिफ्थ सर्किट कोर्ट) को वापस भेज दिया है ताकि वहां इसे और अच्छे से सुना जा सके। यह वहीं अदालत ने जिसने अप्रैल में इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।
ट्रम्प प्रशासन ने 137 लोगों को अल सल्वाडोर भेजा
ट्रम्प दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से ही देश में अवैध तौर पर रह रहे लोगों को निकालने में जुटे हैं। ट्रम्प प्रशासन ने एलियन एनिमीज एक्ट का इस्तेमाल करते हुए मार्च 2025 में वेनेजुएला के लगभग 137 अप्रवासियों को अल सल्वाडोर भेज दिया था। ट्रम्प का आरोप था कि ये अपराधी हैं और कुख्यात गिरोड ‘ट्रेन डे अरागुआ’ से जुड़े हुए हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इन प्रवासियों में से कई के खिलाफ कोई आपराधिक आरोप नहीं थे और इन्हें बिना उचिता कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना हिरासत में ले लिया गया था। अल सल्वाडोर में इन अप्रवासियों को दुनिया की सबसे खतरनाक मानी जाने वाली सीकोट (CECOT) जेल में भेज दिया गया। यह जेल मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए बदनाम है।
अल सल्वाडोर में जनवरी 2023 में एक जेल का निर्माण हुआ था। इसका नाम 'आंतकवादी बंदी केंद्र' है जिसे CECOT के नाम से भी जाना जाता है। यह दुनिया की सबसे बड़ी जेलों में से एक है। इसमें 40 हजार से ज्यादा कैदी रखे जा सकते हैं।
कोर्ट ने ट्रम्प के फैसले पर पहले भी रोक लगाई
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने मार्च के अंत में ट्रम्प प्रशासन के एलियन एनिमीज एक्ट के इस्तेमाल करने पर अस्थायी रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले को पूरी तरह से नहीं सुनते तब तक एक भी अप्रवासी इस एक्ट के जरिए बाहर न भेजा जाए।
अब 16 मई को पूरी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस अस्थायी रोक को और बढ़ा दिया है, और निचली अदालत पर मामले को छोड़ दिया है। इसका मतलब है कि ट्रम्प प्रशासन अभी भी किसी को बाहर नहीं भेज सकता।
अब निचली अदालत 2 चीजें तय करेगी...
वकील बोले- यह फैसला ट्रम्प सरकार के लिए फटकार
अदालत ने यह नहीं साफ किया है कि अल-सल्वाडोर भेज दिए गए 137 लोगों का अब क्या होगा? वहीं, निर्वासित व्यक्तियों के परिवारों का कहना है कि उन्हें अपने लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। वे अपने परिवार को लेकर चिंतित हैं।
इन लोगों की तरफ से केस लड़ रहे संगठन ACLU के वकील ली गेलरेंट ने कहा कि अदालत का फैसला ट्रम्प सरकार के लिए एक फटकार जैसा है।